Vol. | # | Title | HTML/DOC | A.pdf | B.pdf | C.pdf | old editions | links | variorum | |
1-01 | 1 | 1 | आलोग्यझा | m_1_01.doc | here | NIL | here | मानसरोवर (प्रथम भाग) (१९३६) | मेरी यह मुहर नहीं है।(p.15.b.6) ---> मेरी यह मुहर है न, | |
2-01 | 2 | 1 | कुसुम | m_2_01 | here | here | here | मानसरोवर (द्वितीय भाग) (१९३६) | pustak.org | एल्-एल्॰ बी॰(p.22.b.6) ---> एल॰ एल॰ बी॰ |
2-12 | 2 | 12 | दो बैलों की कथा | status A | here | here | मानसरोवर (द्वितीय भाग) (१९३६) | www.bharatdarshan.co.nz | बुद्धिमान बुद्धिहान(p.153.t.1) ---> बुद्धिहीन पहले दर्जे का पल्ले दर्जे का(p.153.t.2) ---> पल्ले दर्जे का | |
6-14 | 6 | 14 | अमावस्या की रात्रि | m_6_14 | here | नव-निधि (१९३४) | दीपों से उनके मुखारविंद प्रकाशमान् थे।(p.209.t.3) ---> दीपों से अधिक उनके मुखारविंद प्रकाशमान थे। सतधरा भवन(p.209.t.4) ---> सप्तधरा भवन एक समय वह था, जब कि(p.209.t.7) ---> एक समय वह था जब कि एक समय यह है, जब कि(p.209.t.8) ---> एक समय यह है जब कि मनोहर संगीत(p.209.t.10-11) ---> मनोहारी संगीत भूल है। यह(p.209.b.11) ---> भूल है, यह विचारे(p.209.b.4) ---> बेचारे शीघ्र ही(p.209.b.2-1) ---> तुम शीघ्र ही लेख में(p.210.t.8) ---> लेखों में समझते।(p.210.b.10) ---> समझते थे। पंडितजी के प्रतिष्ठा के श्राद्ध का दिन(p.210.b.7) ---> पंडितजी की प्रतिष्ठा के श्राद्ध का दिन जिसमें(p.210.b.2) ---> जिनमें चोरों और(p.211.t.2) ???---> चारों ओर दिये जलाऊँगी।(p.211.b.12) ---> दीये जलाऊँगी। अपने(p.211.b.9) ---> वे अपने (राजनीति अर्थशास्त्र) के अनुसार(p.211.b.5) ---> (राजनीतिक अर्थशास्त्र) के मतानुसार महीने भर(p.211.b.1) ---> महीने भर से आकर्षण-शक्ति देखकर(p.212.b.16) ---> आकर्षण-शक्ति को देखकर जिसने इश्तिहारबाज़, जा फ़रोश, गंदुमनुमा बने हुए हकीमों को बेख़बर व बुन से खोदकर(p.212.b.10-9) ---> जिसने इश्तिहारबाज़, गंदुमनुमा जौ फ़रोश बने हुए हकीमों को बेख़ व बुन से खोदकर धन्वंतरि के कानों में(p.212.b.3) ---> धन्वंतरि के कान में मेरे दिल का दाह मिट जायगा।(p.213.b.16-17) ---> मेरे दिल की दाह मिट जायगी। यह शब्द समीप हो गए(p.213.b.1) ---> यह शब्द समीप होते गए मोल भी नहीं।(p.213.b.1) ---> मोल की भी नहीं। कमाई का शेषांक(p.214.t.9) ---> कमाई का शेषांश नींद से,(p.214.t.13) ---> नींद से जागे, आये। देखा(p.214.t.14) ---> आये तो देखा आया था।(p.215.b.12) ---> २०० मीस से आया था। ये चिट्ठियाँ होंगी?(p.215.b.8) ---> वे चिट्ठियाँ होंगी? संभवतः हाँ।(p.215.b.8) ---> संभवतः हों। या नहीं। यदि(p.215.b.1) ---> या नहीं। यह भी तो नहीं मालूम कि वह पहले भी था या नहीं। यदि शोक कि(p.215.b.1) ---> शोक! निरर्गल प्रकाश(p.217.t.5) ---> निर्मल प्रकाश अंतःपुर में ही(p.217.t.8) ---> अंतःपुर में पहुँचते ही हिलाकर(p.217.b.6) ---> उसे हिलाकर मुस्कराकर(p.218.t.8) ---> मुसकुअरा मुसकुअरा कर पोतों को(p.218.t.9) ---> रोते पोतों को नहीं लौटीं।{next paragraph}किंतु(p.218.t.10-11) ---> नहीं लौटीं। किंतु कुछ दूर पर(p.218.b.14) ---> कुछ दूर हटकर खोल दे।{next paragraph}कहार(p.218.b.10-9) ---> खोल दे। कहार चले गए।{next paragraph}हकीमजी(p.218.b.6-5) ---> चले गए। हकीमजी | |||
7-08 | 7 | 8 | बैंक का दिवाला | m_7_08 | here | प्रेम-चतुर्थी (सं॰ १९९०[१९३३]) प्रेम-द्वादशी (सन् १९३६) | बैंक के दफ़्तर में(p.97.t.1) ---> बैंक के बड़े दफ़्तर में कहाँ से दिया जायगा।(p.97.t.3) ---> कहाँ से दिया जायगा? इरादा करते; लेकिन(p.97.t.4) ---> इरादा करते, लेकिन पर रुपये को बेकार डाल रखना(p.97.t.8) ---> पर रुपये को बेकार पड़ा रखना ज़रूरी था; क्योंकि(p.97.t.9) ---> ज़रूरी था, क्योंकि कठिन है।(p.97.b.13) ???---> कठिन था। घंटी बजायी। इसपर(p.97.b.12) ---> घंटी बजायी, इसपर बग़ल से दूसरे कमरे से(p.97.b.12) ---> बग़ल के दूसरे कमरे से ताता-स्टील कम्पनी(p.97.b.10) ???---> टाटा-स्टील कम्पनी मज़दूरों ने हड़ताल किया था।(p.97.b.6-5) ---> मजूरों ने हड़ताल किया था। लिख दें; मगर(p.97.b.2) ---> लिख दें, मगर जाय गए होंगे।(p.118.t.12) ---> जाग गए होंगे। | |||
7-09 | 7 | 9 | आत्माराम | m_7_09 | here | प्रेम-द्वादशी (सन् १९३६) प्रेम-पचीसी ( १९८९[१९३२]) | वेदी-ग्राम में(p.122.t.1) ---> बेंदो-ग्राम में (three times) हृदय उलझने लगा।(p.124.t.3) ---> हृदय उछलने लगा। मूर्तिमान मोह(p.124.t.8) ---> मूर्तिमान् मोह दिन-भर का भूखा-प्यासा(p.124.b.6) ---> ???दिन-भर भूखा-प्यासा पीछे फिरकर न देखा।(p.125.t.6) ---> पीछे फिरकर भी न देखा सोहरों से विशेष प्रेम(p.126.b.2) ---> मोहरों से विशेष प्रेम | |||
8-01 | 8 | 1 | ख़ून सफ़ेद | m_8_01 | here | here | here | न उगी।{next paragraph}बादल(p.5.t.7-8) ---> न उगी। बादल राने लगी(p.10.t08) ---> रोने लगी मैंने का एक जोड़ा(p.10.b04) ---> मैने का एक जोड़ा शिवागौरी(p.15.b02) ---> शिवगौरी | ||
8-02 | 8 | 2 | ग़रीब की हाय | m_8_02 | here | here | पुकारते थे।{next paragraph}चाहे(p.17.t.10-11) ---> पुकारते थे। चाहे देना नहीं सीखे थे।(p.18.t.3-4) ---> देना सीखे नहीं थे/ रहती थीं/{next paragraph}हर जगह(p.18.t.9-10) ---> रहती थीं। हर जगह है या नहीं? या(p.19.t.3) ---> है नहीं? या गाँव सें(p.23.t.4) ---> गाँव में जानेवालों का संख्या(p.28.t.1) ---> जानेवालों की संख्या | |||
8-13 | 8 | 13 | ब्रह्म का स्वाँग | m_8_13 | here | प्रेम-पचीसी (१९८९[१९३२]) | मैं वास्तव मैं(p.137.t.2) ---> मैं वास्तव में बड़ दयालु(p.137.t.11) ---> बड़े दयालु मुफ़्तख़ोर मुवविक्कलों का ताँता(p.141.b.4-3) ---> मुफ़्तख़ोर मुवक्किलों का ताँता |